पिता के अंतिम संस्कार पर बेटों में विवाद : यह घटना सामाजिक मूल्यों और पारिवारिक रिश्तों की जटिलता को दर्शाती है। मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में हुई यह घटना न केवल विचलित करने वाली है, बल्कि यह सोचने पर भी मजबूर करती है कि परिवारों में बंटवारे की मानसिकता किस हद तक गिर सकती है।
पिता के अंतिम संस्कार पर बेटों में विवाद
मृत्यु एक ऐसा सच है जिसे कोई भी नकार नहीं सकता, लेकिन जब कोई व्यक्ति इस दुनिया को अलविदा कहता है, तो उसके परिवार की जिम्मेदारी होती है कि वह पूरे सम्मान और धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ उसका अंतिम संस्कार करे। लेकिन जब लालच, स्वार्थ और अधिकार की लड़ाई पारिवारिक संस्कारों से ऊपर हो जाए, तो ऐसी घटनाएं सामने आती हैं, जो समाज को सोचने पर मजबूर कर देती हैं।

मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में एक ऐसा ही दुर्भाग्यपूर्ण मामला सामने आया, जहां दो भाइयों ने अपने पिता के अंतिम संस्कार को लेकर आपस में ऐसा झगड़ा किया कि पुलिस को आकर मामले की जांच करनी पड़ी | जानिये क्या है पूरा मामला |
पिता की मौत के बाद अंतिम संस्कार का अधिकार किसका?
- टीकमगढ़ जिले के लिधौरा ताल गांव में 85 वर्षीय ध्यानी सिंह घोष का सोमवार की सुबह निधन हो गया।
- छोटे बेटे दामोदर ने पिता की पूरी सेवा की थी और अंतिम संस्कार की सारी तैयारियां कर ली थीं।
- गांववाले और रिश्तेदार भी अंतिम संस्कार के लिए इकट्ठा हो गए थे।
- इसी बीच बड़े बेटे किशन सिंह घोष वहां पहुंच गए और अंतिम संस्कार की जिद पकड़ ली।
विवाद लगातार बढ़ता गया …
- दोनों भाइयों में झगड़ा इतना बढ़ गया कि शव घर के बाहर ही रख दिया गया।
- रिश्तेदारों और गांववालों ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन कोई मानने को तैयार नहीं था।
- किशन सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि शव के दो टुकड़े कर दिए जाएं, ताकि दोनों भाई अपने-अपने हिस्से का अंतिम संस्कार कर सकें।
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पुलिस के आने के बाद हुआ पिता का अंतिम संस्कार
- जब मामला नियंत्रण से बाहर हो गया, तो ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी।
- पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दोनों भाइयों को शांत कराया और किसी तरह विवाद सुलझाया।
- इसके बाद पिता का अंतिम संस्कार धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार किया गया।
भारत में अंतिम संस्कार से जुड़े नियम कानून और परंपराएं
हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार के नियम:
- हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार का अधिकार मुख्य रूप से बड़े बेटे या सबसे नजदीकी पुरुष परिजन को दिया जाता है।
- यदि बेटा नहीं हो, तो पुत्री, पत्नी या अन्य परिवार के सदस्य भी अंतिम संस्कार कर सकते हैं।
कानून के हिसाब से
- भारत में अंतिम संस्कार को लेकर कोई सख्त कानून नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के अनुसार अंतिम संस्कार मृतक की इच्छा या परिवार के परंपरागत नियमों के आधार पर किया जाना चाहिए।
- किसी भी तरह के विवाद की स्थिति में स्थानीय प्रशासन हस्तक्षेप कर सकता है |
निष्कर्ष :
टीकमगढ़ जिले की यह घटना हमारे समाज के बदलते मूल्यों का एक कड़वा सच उजागर करती है। अंतिम संस्कार एक सम्मानजनक प्रक्रिया होती है, लेकिन जब यह झगड़े और विवाद का कारण बन जाए, तो यह हमारी सांस्कृतिक और नैतिक गिरावट का संकेत है|
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FAQs:
पिता के अंतिम संस्कार पर झगड़ा क्यों हुआ?
टीकमगढ़ जिले में दो बेटों में इस बात को लेकर झगड़ा हो गया कि अंतिम संस्कार का अधिकार किसे मिलेगा। बड़ा बेटा किशन सिंह इस अधिकार को मांग रहा था, जबकि छोटे बेटे दामोदर ने अपने पिता की सेवा की थी।
क्या भारत में अंतिम संस्कार का कोई कानूनी प्रावधान है?
भारत में अंतिम संस्कार के लिए कोई सख्त कानून नहीं है, लेकिन पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार यह अधिकार सबसे बड़े बेटे या करीबी पुरुष रिश्तेदार को दिया जाता है।
शव के बंटवारे की मांग क्यों की गई?
विवाद बढ़ने के बाद बड़े बेटे किशन सिंह ने गुस्से में शव के दो हिस्से करने की मांग कर दी, ताकि दोनों भाई अपने-अपने हिस्से का अंतिम संस्कार कर सकें।
पुलिस ने इस मामले को कैसे सुलझाया?
पुलिस को सूचना मिलने के बाद दोनों भाइयों को समझाकर शांत कराया गया और अंततः पिता का अंतिम संस्कार हुआ।
इस घटना से हमें क्या सीख मिलती है?
रिश्तों में स्वार्थ नहीं, बल्कि प्रेम और सम्मान होना चाहिए। पारिवारिक झगड़ों को बातचीत और समझदारी से सुलझाना चाहिए, न कि इतनी शर्मनाक स्थिति तक पहुंचाना चाहिए कि प्रशासन को हस्तक्षेप करना पड़े।
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