देहरादून: नमस्कार दोस्तों , आज की एक और ताजा खबर के साथ में इशू एक बार फिर से , उत्तराखंड की मात्र 3 वर्षीय छात्रा थिया सिंह ने ताइक्वांडो में पीली बेल्ट हासिल करके सबसे कम उम्र में इस खेल में रिकॉर्ड रचा है। उनकी इस असाधारण उपलब्धि को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन द्वारा मान्यता दी गई है, जो राज्य के लिए गर्व की बात है।
3 साल की थिया सिंह ने ताइक्वांडो में बनाया विश्व रिकॉर्ड

थिया सिंह का ताइक्वांडो से सफ़र बेहद प्रेरणादायक है। मात्र तीन साल और छह महीने की उम्र में भी उन्होंने इस खेल में अपनी मेहनत और लगन का जादू बिखेर दिया है। उनके माता-पिता, प्रांजल सिंह और अमनदीप कौर, दोनों संयुक्त आयकर आयुक्त हैं। उन्होंने महिला सशक्तिकरण के दृष्टिकोण से अपनी दोनों बेटियों को अनुशासन, जीवन कौशल और आत्मरक्षा के उद्देश्य से ताइक्वांडो का प्रशिक्षण दिलाया।
थिया ने अपनी बड़ी बहन मौयरा सिंह के साथ शुरूआत की, जो स्वयं ब्लू बेल्ट हैं। दोनों बहनों ने मिलकर नियमित रूप से प्रशिक्षण लिया और घर पर एक-दूसरे का साथ देते हुए बेहतर प्रदर्शन किया। प्रशिक्षकों, उत्तराखंड स्पोर्ट्स ताइक्वांडो अकादमी के जावेद खान और हिना हबीब के मार्गदर्शन में थिया ने अपने खेल के प्रति अटूट जुनून और समर्पण दिखाया है।
पीली बेल्ट और विश्व रिकॉर्ड
थिया सिंह ने ताइक्वांडो में पीली बेल्ट हासिल करके सबसे कम उम्र में यह उपलब्धि दर्ज कराई। इस रिकॉर्ड को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, लंदन द्वारा मान्यता दी गई है।
देहरादून में रजत पदक
रिकॉर्ड से पहले, मई 2024 में आयोजित देहरादून के जिला ताइक्वांडो चैंपियनशिप में थिया ने अपने वजन वर्ग के अनुरूप सब जूनियर वर्ग में रजत पदक जीतकर भी अपना जलवा बिखेरा था।
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संघर्ष से सफलता तक ढाई साल से शुरू हुई थिया की यात्रा
थिया सिंह की कहानी केवल एक खेल की उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह उनके परिवार के संघर्ष और आशा की कहानी भी है। गरीबी की चुनौतियों के बीच, अपने माता-पिता की देखरेख में उन्होंने अनुशासन और मेहनत से इस मुकाम को हासिल किया। थिया की उपलब्धि यह दर्शाती है कि उम्र केवल एक आंकड़ा है, और जुनून व समर्पण से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।
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निष्कर्ष
थिया सिंह ने न केवल अपने परिवार का मान बढ़ाया है, बल्कि पूरे उत्तराखंड और देश के लिए एक प्रेरणा बनकर उभरी हैं। उनकी इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया है कि कम उम्र में भी अगर सही मार्गदर्शन और कठिन परिश्रम किया जाए, तो इतिहास रचने की क्षमता रखी जा सकती है।
आइए, थिया सिंह की इस सफलता पर उन्हें दिल से बधाई दें और उनकी आने वाली उपलब्धियों के लिए शुभकामनाएं भेजें!
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