नमस्कार दोस्तों, मैं ishu आज आपके साथ एक ऐसे परियोजना की ख़बर साझा कर रही हूँ, जिसने मेरे दिल में एक नई उम्मीद जगाई है। उत्तराखंड के पवित्र भूमि पर केदारनाथ धाम में अब विश्व का सबसे लंबा रोपवे बनने जा रहा है, जो तीर्थयात्रियों के लिए एक बड़ा सहारा साबित होगा। जिससे की धाम पर आने वाले तीर्थ यात्रियों को काफी मदद मिलने वाली है
केदारनाथ रोपवे परियोजना की रूपरेखा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस रोपवे परियोजना को अपने सपनों के प्रोजेक्ट में शामिल किया है। उनका लक्ष्य उत्तराखंड में चारधाम यात्रा को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से सुसज्जित करना है। अब भक्तों को गौरीकुंड से 16 किमी की कठिन चढ़ाई नहीं करनी पड़ेगी, बल्कि रोपवे की सहायता से वे मात्र 30 मिनट में भगवान भोलेनाथ के दर्शन कर सकेंगे। इस प्रोजेक्ट में केदारनाथ धाम में 9.7 किलोमीटर लंबा रोपवे बनने का प्रस्ताव है, जिसके लिए लगभग 956 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है।
इस मेगा प्रोजेक्ट का निर्माण दो चरणों में होगा:
- पहला चरण: गौरीकुंड से केदारनाथ धाम तक 9.7 किलोमीटर लंबा रोपवे स्थापित किया जाएगा।
- दूसरा चरण: सोनप्रयाग से गौरीकुंड तक 3.3 किलोमीटर का अतिरिक्त रोपवे जोड़ा जाएगा।
इस महत्वपूर्ण परियोजना की निगरानी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा की जा रही है, और निर्माण कार्य नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLML) के नियंत्रण में किया जाएगा। सभी आवश्यक औपचारिकताएँ—हवाई और भूमिगत सर्वेक्षण सहित—पहले ही पूरी कर ली गई हैं, और भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया भी संपन्न हो चुकी है।
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पीएम मोदी की घोषणा और आगे की योजना
प्रधानमंत्री मोदी ने 2022 में केदारनाथ की यात्रा के दौरान इस परियोजना की घोषणा की थी। उनके सपनों की इस परियोजना का उद्देश्य न केवल यात्रियों के लिए सुविधा बढ़ाना है, बल्कि उत्तराखंड की चारधाम यात्रा को आधुनिक और सुरक्षित बनाना भी है। रोपवे के प्रभावी संचालन के लिए तीन मुख्य स्टेशन (सोनप्रयाग और केदारनाथ धाम) और तीन उप-स्टेशन (गौरीकुंड, चीरबासा और लिनचोली) स्थापित किए जाएंगे।
यात्रियों के लिए सुविधाएँ और स्थानीय विकास
रुद्रप्रयाग के जिला पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे के अनुसार, रोपवे निर्माण के लिए निविदाएं आमंत्रित कर दी गई हैं और निर्माण कार्य जल्द ही शुरू हो जाएगा। रोपवे चालू होने पर सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम का सफर केवल 30 मिनट में पूरा हो जाएगा। इससे न सिर्फ तीर्थयात्रियों का समय बचेगा, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए नए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। होटल, ढाबे और दुकानदारों की आमदनी में वृद्धि से क्षेत्र का समग्र विकास होगा।
हालांकि, कुछ पारंपरिक व्यवसाय जैसे घोड़ा-खच्चर और डंडी-कंडी पर असर पड़ने की संभावना है, लेकिन सरकार इनके लिए वैकल्पिक रोजगार योजनाएँ भी तैयार कर रही है।
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केदारनाथ सुरक्षा और सुविधाओं में सुधार
केदारनाथ धाम में रोपवे बनने से विशेषकर बच्चों, बुजुर्गों और उन लोगों के लिए यात्रा करना सुरक्षित और सुविधाजनक हो जाएगा, जो पहले पैदल 7-8 घंटे का सफर तय करते थे। बारिश और भूस्खलन के कारण पैदल मार्ग पर होने वाले जोखिम को देखते हुए, रोपवे एक सुरक्षित विकल्प सिद्ध होगा। यह परियोजना न केवल तीर्थयात्रियों को समय की बचत कराएगी, बल्कि स्थानीय पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों में भी नयी जान फूंक देगी।
निष्कर्ष
दोस्तों, यह परियोजना मेरे लिए एक प्रेरणा है कि किस तरह आधुनिक तकनीक और सुव्यवस्थित योजना से कठिन परिश्रम को आसान बनाया जा सकता है। केदारनाथ धाम में बनने वाला यह विश्व का सबसे लंबा रोपवे निश्चय ही तीर्थयात्रियों के लिए एक वरदान साबित होगा और उत्तराखंड की चारधाम यात्रा को नए आयाम प्रदान करेगा। मुझे उम्मीद है कि आप सभी इस खबर से उत्साहित होंगे और इस परियोजना के सकारात्मक प्रभाव को महसूस करेंगे।
आपके सुझाव और विचार मेरे लिए महत्वपूर्ण हैं, तो कृपया कमेंट करके अपने विचार साझा करें।
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